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जेएनयू:शैक्षिक संस्थान या आतंकी अड्डा

9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने भगवान श्रीराम जी के भव्य मंदिर के निर्माण का आदेश सुना दिया। इस निर्णय को लगभग सभी ने एकमत में स्वीकृति प्रदान करी।
चारों ओर शान्ति का, भाईचारे का वातावरण दिखाई दिया। बहुत लोगों की आशंका थी कि विनाश होगा, दंगे होंगें, हिन्दू मुस्लिम एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो जाएंगे। ऐसी किसी अप्रिय घटना की खबर पूरे भारत में कहीं ना दिखाई दी, ना सुनाई दी।
कुछ एक लोगों के अलावा किसी ने कोई नाराज़गी ज़ाहिर नही की। और नाराज़ होने वालों में अलगाव वाद को बढ़ावा देने लोग ही नज़र आये।

परन्तु क्या यह शांति प्रदर्शन दिखावटी था?
राजधानी दिल्ली में स्थित जवाहर लाल विश्वविद्यालय से फिर उठी अलगाववादी  आज़ादी की माँग वाली आवाज़ किस सोच की परिचायक है?
हाल ही में वहाँ कुछ छात्रों का मन्दिर फैसले के खिलाफ जुलूस प्रदर्शन यही दर्शाती है कि जेएनयू में कुछ तो गड़बड़ है।
हाल ही में जेएनयू परिसर में लगी स्वामी विवेकानंद जी की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया और अपशब्द लिख कर गुंडागर्दी करते हुए नारेबाज़ी की गई।
इस घटना से देश भर की युवा पीढ़ी ही नही अपितु हर उम्र के लोगों में खासी नाराज़गी और गुस्सा है।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट फूट कर निकाल रहा है।
सभी सरकार से एक ही माँग कर रहे हैं कि जेएनयू को बंद किया जाए। लोगों का कहना है कि जब तक जेएनयू बन्द नही होगी, वे टैक्स नही भरेंगे। उनका साफतौर पर कहना है कि उनकी मेहनत की कमाई पर मुफ्तखोर गुंडे और आतंकी नही पलेंगे।
2016 में भी इसी प्रकार की घटना घटी थी जब जेएनयू से देशद्रोह की आवाज़ उठी थी।

बहुतों का मानना है कि जेएनयू अब एक शैक्षिक संस्थान ना रह कर आतंकियों का अड्डा बन गया है।
कन्हैया और अफ़ज़ल की राह पर चलते हुए छात्र देशद्रोही गतिविधियों को निरंतर अंजाम दे रहे हैं।

कुछ दिन पहले जब जेएनयू होस्टल की फीस 30 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 300 रुपए प्रतिमाह की गई तब इन्ही अलगाववादी सोच रखने वाले छात्रों ने जाम कर बवाल काटा और तोड़ा फोड़ी की।
यही छात्र हर तरह की देशद्रोही गतिविधि जो जेएनयू में हो रही है उसके पीछे पाए गए हैं।
परन्तु दिल्ली प्रशासन या केंद्र प्रशासन इन पर कोई कार्यवाही नही कर रहा है।
क्या यह इनको बढ़ावा देना नही है?
क्या सनातन संस्कृति का सनातन धर्म का अपमान करना ही आज के सेक्युलर इंडिया की नई तस्वीर है?
भारत सरकार इस तरह की सनातन द्रोही, देश द्रोही गतिविधियों को क्यों बढ़ावा दे रही है।
एक तरफ भारत की बड़ी समस्याओं का अनुदान और दूसरी तरफ देश की राजधानी में ही देशद्रोही विचारधारा को न दबाना वरन उसे हवा देना,किस रणनीति का परिचय देता है?
यह सनातन धर्म को औपचारिक तौर पर लेकर उसका हनन करवाना कब तक चलता रहेगा।
पहले वीर सावरकर फिर चंद्रशेखर आज़ाद और अब स्वामी विवेकानंद जी का घोर अपमान और उस पर प्रशासन की चुप्पी, इसे क्या समझा जाये।

क्या अब हर सनातन धर्मी को अपनी संस्कृति की रक्षा करने के लिए खुद तत्पर नही हो जाना चाहिए?
आरक्षण का विरोध कर हर वर्ण के सनातनी को एक हो कर अपनी संस्कृति अपने समाज की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
जब अपने घर में आग लगती है तो हमें खुद उसे बुझाने का प्रयास सबसे ज़्यादा करना होता है।

अब समय आ गया है कि हर एक सनातन धर्म के सिपाही को अपनी अपने भारत की अपने धर्म की रक्षा हेतु राम कृष्ण परशुराम बन कर मैदान में उतर जाना चाहिए।

उखाड़ फेंकों अलगाववादी और माववादी सोच को जड़ समेत।
मिटा दो आरक्षण रूपी महाकलंक को जिसे बाहरी आतातायियों ने हमारे दिलों दिमाग पर लगाया हुआ है और निरन्तर हमें अपना गुलाम बनाये हुए हैं।

जेएनयू को बंद करना समाधान नही है, समाधान है वहाँ पर हो रही गुंडागर्दी का मुँह-तोड़ और ज़रूरत पड़े तो सर-कलम जवाब देने का।

ज़रूरत है हर उस गद्दार का खात्मा करने की जो सनातन संस्कृति और भारत का निंदक है, बुरा चाहने वाला है।
जय हिन्द
जय भारत
भारत माता की जय
जय महाकाल
हर हर महादेव

3 replies on “जेएनयू:शैक्षिक संस्थान या आतंकी अड्डा”

Yes, definitely it was fake. JNU is no more an educational body. Students who actually study there are very few and they do not involve in these anti-national activities.
All students who are just mis-using the freedom and resources of JNU should be expelled right away and JNU should be cleaned so that real students can get benefit for their academic endeavors.

I think firstly the govt should stop all types of politics be it straight or curved, right or wrong in all educational institutions irrespective of states. Trust me i feel the condition of JNU is still better in comparison to Presidency or Jadavpur in bengal! And these hooligans they don’t belong to any party i think! I mean how can ?when they don’t follow the ideology?when they aren’t aware about the ABC of so called politics? When they don’t know how to behave, what to speak, how to act! If they are that “educated and concerned” about people and society they can’t commit such act! Be it breaking of swamiji’s or whoever’s statue or fighting for 300rs.! They are only millenials by dictionary but not by brain or attitude. And the problem is no one is ready to accept even if 1% good is happening to the country, they will still cry for that 99% bad! That’s where the problem lies. We should learn to appreciate the good too besides criticizing, we should learn to listen, we should learn to judge without getting influenced by others, we should learn to respect and respond logically.

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