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Patriotism Poems

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं – रामधारी सिंह “दिनकर”

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं

धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
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